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मुक्ति - स्त्री विशेष

#शॉर्ट स्टोरी चैलेंज

#स्त्री विशेष–2


आज सुबह सुबह खबर मिली कि अनिता का पति किशन खतम हो गया, वह लकवे के कारण आठ साल से बिस्तर पर था।पहले जब ठीक था तब वह ऑटो चलाता था। अधिक शराब पीने के कारण उसकी यह हालत हुई ।अपनी तेरह साल की लड़की और  नौ साल के लड़के को उसी के भरोसे छोड़ वो काम पर जाती थी। जी हाँ, काम – झाड़ू,पोछा,बर्तन का काम ।बच्चो की पढ़ाई हो सके, न तो इतने पैसे  थे, न ही बच्चो की रूचि। सुबह शाम पांच घरों में काम के बाद घर में पति और बच्चों का ध्यान भी रखती। घर का किराया, राशन, गैस, बिजली,दवाई सब का जिम्मा उसी के सिर था। रिश्तेदार भी मदद उन्हीं की करते हैं जिनसे पैसे वापसी की उम्मीद हो , वरना सब नजरें फेर लेते हैं।

अनिता की बेटी छः-सात बरस की उम्र से माँ की गैर मौजूदगी में बीमार बाबा की लघुशंका और दीर्घशंका का ध्यान रखना सीख गई थी। छोटी सी उम्र में ही एक माँ जैसी जिम्मेदार हो गई थी वो बच्ची, जो अपने बाबा और भाई दोनों का ख्याल रखती। बड़ी दया आती थी उन पर।
अब जब उसका पति अपने कर्मों को भोग इस दुनिया से चला गया तो भीड़ में खड़े लोग बातें कर  रहे थे, "बहुत कष्ट में जी रहा था बेचारा, मुक्ति मिल गई।"

पर क्या सच में मुक्ति किशन को ही मिली थी?
        

               प्रीति ताम्रकार

              जबलपुर(मप्र)

#शॉर्ट स्टोरी चैलेंज

  


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11 Comments

Haaya meer

10-May-2022 06:09 PM

Amazing

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Muskan khan

09-May-2022 06:58 PM

Nice

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Neelam josi

09-May-2022 06:47 PM

Nice 👍🏼

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